धारा 38-क-आबकारी राजस्व के बक़ाया पर ब्याज -
(1)-जहाँ किसी आबकारी राजस्व का भुगतान उसके देय होने के दिनांक के तीन मास के भीतर न किया गया हो , वहाँ चौबीस प्रतिशत प्रति वर्ष से अनधिक दर पर जैसी विहित की जाय, ब्याज ऐसे आबकारी राजस्व के देय होने के दिनांक से वास्तविक भुगतान के दिनांक तक देय होगा :
प्रतिबन्ध यह है कि जब तक कोई उच्च दर विहित न की जाय , ब्याज की दर अट्ठारह प्रतिशत (18 %) प्रतिवर्ष होगी ;
अग्रेतर प्रतिबन्ध यह है कि ऐसे आबकारी राजस्व के सम्बन्ध में , जो उत्तर प्रदेश आबकारी (संशोधन) अधिनियम -1985 के प्रारम्भ होने के पूर्व देय हो गया हो, उक्त दर पर ब्याज ऐसे प्रारम्भ के दिनांक से देय होगा , यदि आबकारी राजस्व का भुगतान उक्त दिनांक के तीन मास के भीतर न किया जाय ।
स्पष्टीकरण --
इस उपधारा की किसी बात का यह अर्थ नही लगाया जायेगा कि उससे किसी क़रार , नीलामी के निबन्धनों या उत्तर प्रदेश आबकारी ( संशोधन) अधिनियम .1985 के प्रारम्भ के दिनांक के पूर्व दायर किये गये वादों या कार्यवाहियों में न्यायालय की किसी डिक्री जो उक्त दिनांक के पूर्व पारित की गयी हो या उक्त दिनांक के पश्चात पारित की जाय , के अधीन ब्याज के भुगतान पर प्रभाव पड़ता है ।
(2)-ऐसे ब्याज की वसूली पर धारा-39 के उपबन्ध , यथावश्यक परिवर्तन सहित उसी प्रकार लागू होंगें जिस प्रकार के आबकारी राजस्व की वसूली पर लागू होते हैं ।