धारा-60 (क) -अपायकर पदार्थ को मादक वस्तु में मिश्रित करने के लिए तथा अपायकर पदार्थ को मादक वस्तु की ओट में बिक्री करने के लिए शास्ति
जो कोई, किसी मादक पदार्थ को किसी अन्य पदार्थ या विजातीय द्रव्य से उसे अपायकर करने हेतु मिश्रित करता है या मिश्रित करने देता है या ऐसे अपायकर मादक वस्तु या किसी अन्य अपायकर पदार्थ का किसी मादक वस्तु की ओट में उपभोग हेतु विक्रय करता है , उसे प्रदान करता है या विक्रय करवाता है या करने देता है या उपलब्ध करवाता है ; जिससे मानव की विकलांगता या उपहति या घोर उपहति या मृत्यु या कोई अन्य परिणामी क्षति होना संभावित हो , को दण्डित किया जाएगा --
(क)- यदि ऐसे किसी कृत्य के फलस्वरूप मृत्यु होती है तो उसे मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास की सज़ा और जुर्माने जो दस लाख रूपये तक हो सकता है किन्तु जो पॉंच लाख रूपये से कम नहीं होगा के लिए भी दायी होगा ,
(ख)-यदि ऐसे किसी कृत्य के फलस्वरूप विकलांगता या घोर उपहति होती है तो आजीवन कारावास अथवा कठोर कारावास से जो दस वर्ष तक हो सकता है किन्तु छ: वर्षों से कम न होगा और जुर्माना से जो पॉंच लाख रूपये तक हो सकता है किन्तु तीन लाख रूपये से कम न होगा ,
(ग)-यदि ऐसे किसी कृत्य के फलस्वरूप किसी व्यक्ति को कोई उपहति या कोई अन्य परिणामी क्षति पहुँचती है , तो ऐसी अवधि के कारावास से जो दो वर्ष तक हो सकता है किन्तु एक वर्ष से कम न होगा और जुर्माना से , जो दो लाख पचास हज़ार रूपये तक हो सकता है किन्तु एक लाख पच्चीस हज़ार रूपये से कम न होगा ।
स्पष्टीकरण : इस धारा के प्रयोजनार्थ पद उपहति (hurt) और घोर उपहति (grievous hurt) के अर्थ वही होगे जो भारतीय दण्ड विधान-1860 (अधिनियम संख्या 45 सन 1860) की क्रमश: धारा 319 और धारा 320 में है ।