धारा-71- कुछ मामलों में अपराधों के किये जाने के संबंध में उपधारणा


धारा-60 व धारा 60(क) के अधीन प्रत्येक अभियोजन में जब तक इसके प्रतिकूल सिद्ध न कर दिया जाय , यह उपधारणा की जायेगी कि अभियुक्त व्यक्ति ने निम्नलिखित के सम्बन्ध में उक्त धारा के अधीन दण्डनीय अपराध किया है-
(क)- किसी मादक वस्तु या
(ख)-ताड़ी से भिन्न किसी मादक वस्तु के निर्माण के लिए किसी भी प्रकार के किसी भभके, बर्तन , औज़ार या उपकरण , या
(ग)-किन्हीं ऐसे सामानों , जिस पर किसी मादक वस्तु के निर्माण के सम्बन्ध में प्रक्रिया की गई हो या जिनसे कोई मादक वस्तु निर्मित की गई हो, जिन्हें अपने क़ब्ज़े में रखने के सम्बन्ध में वह कोई संतोषजनक कारण बताने में असमर्थ हो :
और इस अधिनियम के अधीन लाइसेंस , परमिट या पास का धारक तथा वास्तविक अपराधी भी धारा-60 ,धारा-60(क) , धारा-62,धारा-63 या धारा-64 के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिये , जो उसके सेवायोजन में और उसकी ओर से कार्य करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा किया गया हो , दण्ड का भागी होगा मानों उस अपराध को उसने स्वयं किया हो , जब तक कि वह यह न सिद्ध कर दे कि ऐसे अपराध को किए जाने से रोकने के लिए उसने सभी सम्यक् और उचित पूर्वोपाय किए थे :
प्रतिबन्ध यह है कि धारा 60(क) व धारा 69 (ख) में किसी बात के प्रतिकूल होते हुये भी वास्तविक अपराधी से भिन्न किसी व्यक्ति को , जुर्माना देने में व्यतिक्रम के सिवाय , कारावास का दण्ड नहीं दिया जायेगा !