देशी बॉटलिंग नियम 2-परिभाषाए–


(1) जब तक विषय या संदर्भ में कोई बात प्रतिकूल न हो इस नियमावली में

(क) "अधिनियम" का तात्पर्य समय-समय पर यथा संशोधित संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 से है
(ख) "समिश्रण" का तात्पर्य दो या दो से अधिक स्प्रिट अथवा भिन्न-भिन्न मधसारिक सान्द्रता अथवा भिन्न से भिन्न गुणवत्ता अथवा श्रेणी की शराब को एक साथ मिश्रित करने से है.
(ग) "बन्ध पत्र" का तात्पर्य तत्समय प्रवृत्त किसी विधि या विनियम द्वारा या तदधीन प्राधिकृत या अपेक्षित बाध्यता से है:
(घ) "बंधित भण्डागार का तात्पर्य ऐसे अनुमोदित भण्डागार से है, जिसका प्रयोग ऐसे गोदाम से निकासी के समय प्रतिफल शुल्क के भुगतान के लिये बंध पत्र के अधीन वहाँ पर लाये गये उत्पाद शुल्क योग्य पदार्थों के भण्डारण के लिये किया जाता है;
(ङ) रंजन एवं परिष्करण का तात्पर्य स्प्रिट या अवनतिकृत स्प्रिट में रंजक तथा वासक द्रव्य मिलाने से है ;
(च) "देशी शराब" का तात्पर्य तनु या तीव्र मद्यसार युक्त सादी या मसोलदार स्प्रिट से है जो एक्सट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ई.एन.ए.) विनिर्मि गयी है;
(छः) "आबकारी वर्ष" का तात्पर्य दिनांक 01 अप्रैल से प्रारम्भ होने वाले और अगले कैलेण्डर वर्ष के 31 मार्च तक समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष से है;
(ज) "प्रपत्र" का तात्पर्य इस नियमावली से संलग्न प्रपत्र से है;
(झ) "लाइसेंस' का तात्पर्य इस नियमावली के अधीन प्रदान किये गये लाइसेंस से है;
(ञ) "लाइसेंस प्राधिकारी" का तात्पर्य आबकारी आयुक्त, उत्तर प्रदेश से है;
(ट) "लाइसेंस फीस" का तात्पर्य देशी मदिरा की बोतल भराई के अनन्य विशेषाधिकार के लिये लाइसेंस प्रदान किये जाने के निमित्त प्रतिफल से है, जो लाइसेंसधारी द्वारा उसको लाइसेंस प्रदान किये जाने के पूर्व, ऐसी दरों पर, जैसा कि समय-समय पर आबकारी आयुक्त द्वारा राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति से निर्धारित किया जाय, राजकीय कोषागार में ई-पेमेन्ट के माध्यम से संदत्त की जायेगी;
(ठ) "प्रभारी अधिकारी" का तात्पर्य आबकारी विभाग के ऐसे अधिकारी से है, जो सहायक आबकारी आयुक्त की श्रेणी से नीचे का न हो, जो आबकारी आयुक्त द्वारा निर्देशाधीन लाइसेंस कार्य संचालन हेतु नियुक्त किया गया हो;
(ड) “सादी स्प्रिट" का तात्पर्य ऐसी स्प्रिंट से है जिसमें कोई सुवासक न मिलाया गया हो और जिसमें कोई रंजक अथवा सुवासक द्रव्य अथवा अन्य पदार्थ या अवयव न मिलाया गया हो;
(ढ) "पोर्टल" का तात्पर्य विशेष रूप से निर्मित इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म पर मदिरा निर्माण की प्रक्रिया से लेकर इसके वितरण के अन्तिम अवस्था तक की सूचनाओं को विहित प्रारूप में अपलोड करने के प्रयोजन से है;
(ण) “प्रापक" का तात्पर्य ऐसे पात्र से है, जिसमें भभका (स्टिल) की वर्तुलाकार नली गिरती है;
(त) “स्प्रिट का तनुकरण का तात्पर्य उच्च तीव्रता की ई.एन.ए. में पानी मिलाकर तनु करने से है;
(थ) “सुरक्षा कूट’का तात्पर्य आबकारी विभाग द्वारा यथा अनुमोदित सुरक्षा कोड से है, जो प्रत्येक कार्टन (केस) तथा बोतल अथवा किसी अन्य आधान पर प्रतिफल शुल्क के भुगतान के प्रमाणस्वरूप चस्पा किया जायेगा;
(द) "मसालेदार स्प्रिट" का तात्पर्य सादी स्प्रिट में सुवासकों एवं मसालों को मिलाने के पश्चात् प्राप्त स्प्रिट से है;
(ध) "राज्य" का तात्पर्य उत्तर प्रदेश राज्य से है;
(न) “तीव्रता’का तात्पर्य देशी शराब की ऐसी तीव्रता से है, जैसा कि समय-समय पर राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से आबकारी आयुक्त द्वारा नियत की जाय और जो एल्कोहलोमीटर से उपदर्शित होती हो;
(प) "बोतल में बन्द करना' का तात्पर्य बिकय के प्रयोजनार्थ शराब को किसी कुण्ड अथवा टैंक से बोतल या समान पात्र में अन्तरित करने से है। बोतल में बन्द करने के अन्तर्गत बोतल में फिर से भी बन्द करना सम्मिलित है;
(फ) "माप' का तात्पर्य किसी पात्र, आधान, कुण्ड अथवा टैंक में रखी गयी या उनमें से ली गयी स्प्रिट की मात्रा अवधारित करना अथवा किसी कुण्ड या अन्य पात्र की क्षमता अवधारित करना है;
(ब) "कुण्ड" का तात्पर्य ऐसे स्थिर पात्र से है, जो शराब के भण्डारण के लिये प्रयुक्त होता है;
(भ) "गोदाम (भण्डागार ) " का तात्पर्य देशी शराब की बोतल भराई के लिये लाइसेंस प्राप्त परिसर के ऐसे भाग से है, जिसमें आबकारी नियंत्रण में निकासी एवं उपभोग योग्य स्थिति में स्प्रिट को भण्डारित किया जाता है।
(2) इस नियमावली में अपरिभाषित किन्तु अधिनियम में परिभाषित शब्दों और पदों के वहीं अर्थ होंगे, जो अधिनियम में क्रमशः उनके लिये समनुदेशित हो।