1-विभिन्न संस्थाओं को निःशुल्क सुरासव तथा विशुद्ध मद्यसार दिये जाने हेतु पालन किये जाने वाले सिद्धांत —
विभिन्न चिकित्सालयों, शिक्षण संस्थाओं, प्रयोगशालाओं, सुरक्षा संस्थाओं एवं अन्य प्रतिष्ठानों को निःशुल्क सुरासव तथा विशुद्ध मद्यसार दिये जाने के सम्बन्ध में निर्गत-शासनादेश संख्या-4699 ई-2 / तेरह-100/88, दिनांक 17 मार्च, 1989 , शासनादेश संख्या-3195 ई-2 / तेरह-95-100/88 दिनांक 15 नवम्बर, 1995 एवं शासनादेश संख्या 104/ 2018/ 3604 ई-2 तेरह- 2018- 100/ 88 दिनांक 27 नवंबर-2018 द्वारा संशोधित व्यवस्था के अन्तर्गत वर्गीकृत विभिन्न संस्थाओं को दिये जाने वाले निःशुल्क सुरासव तथा विशुद्ध मद्यसार दिये जाने हेतु निम्न सिद्धांतों का पालन किया जायेगा- -
(क) विधि द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज, सरकारी अस्पताल, शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं, भारत सरकार की प्रयोगशालाओं को निर्धारित अधिकतम वार्षिक कोटा देने के लिए कालान्तर में एक विशेष प्रकार का स्थायी परमिट आबकारी आयुक्त द्वारा जारी किया जायेगा, जिस पर हर वर्ष निःशुल्क कोटा प्राप्त करने के लिए अधिकृत रहेंगे। इस बीच वर्तमान प्रक्रिया के अनुरूप आबकारी आयुक्त द्वारा वार्षिक कोटा प्रतिवर्ष स्वीकृत करने की कार्यवाही की जायेगी।
(ख) गैर सरकारी अस्पतालों, राजकीय एवं अराजकीय विभिन्न संस्थाओं और सुरक्षा सामग्री उत्पादित करने वाली इकाइयों को निर्धारित सीमा तक सम्बन्धित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी की संस्तुति एवं जिला आबकारी अधिकारी द्वारा परीक्षण रिपोर्ट पर परमिट जारी करने का अधिकार जिलाधिकारी को होगा।
(ग) उक्त प्रस्तर (क) और (ख) के मामलों में निर्धारित सीमा से अधिक निःशुल्क सुरासव/विशुद्ध मद्यसार की आवश्यकता होने पर प्रस्ताव आबकारी आयुक्त को संदर्भित किया जायेगा।
(घ) किसी संस्था द्वारा प्राप्त निःशुल्क सुरासव एवं विशुद्ध मद्यसार का दुरुपयोग किये जाने पर आबकारी आयुक्त/जिलाधिकारी द्वारा निःशुल्क सुरासव/विशुद्ध मद्यसार की सुविधा समाप्त की जा सकेगी। ऐसी स्थिति में उस संस्था की माँग के अनुसार सशुल्क सुरासव एवं विशुद्ध मद्यसार दिया जायेगा।