द्राक्षासवनी नियम-2- परिभाषायें -


जब तक विषय या संदर्भ में कोई बात प्रतिकूल न हो इस नियमावली में -
(क) "आबकारी वर्ष" का तात्पर्य 01 अप्रैल से प्रारम्भ होकर आगामी 31 मार्च को समाप्त होने वाली अवधि से है:
(ख) "फोर्टिफिकेशन" का तात्पर्य वाइन या मस्ट में, उन्हें खट्टा होने से बचाने के लिये ब्रांडी या कोई उदासीन स्प्रिट मिलाने से है;
(ग) “लीज’ का तात्पर्य किण्वन प्रक्रिया के पूर्ण होने के पश्चात वाइन के निचोड़ने पर बचे अवशेष से है,
(घ) "मस्ट" का तात्पर्य किण्वन से पूर्व वाइन बनाने के लिये फूलों, सब्जियों, गैर- स्वापक (गैर-मनः प्रभावी) जड़ी बूटियों के रस या गूदों और कुचले अंगूरों के रस अथवा गूदे से है और जिसमें वाइन के उत्पादन के लिए किसी अन्य फल का रस एवं गूदा भी सम्मिलित है।
(ङ) “प्रभारी अधिकारी" का तात्पर्य द्राक्षासवनी में पर्यवेक्षण कार्य के लिए आबकारी आयुक्त द्वारा इस रूप में नियुक्त आबकारी निरीक्षक अथवा सम्बन्धित निवारक सर्किल के प्रभारी आबकारी निरीक्षक से है।
(च) "द्राक्षासवक" का तात्पर्य किसी वाइन निर्माणशाला चलाने के लाइसेंस धारक व्यक्ति से है;
(छ) "द्राक्षासवनी" विनिर्माणशाला से है: का तात्पर्य किसी वाइन
(ज) "वाइन" का तात्पर्य फूलों, सब्जियों, गैर-स्वापक (गैर-मनः प्रभावी), जड़ी बूटियों के रस या गूदे और अंगूर के रस या गूदे या किसी अन्य फल के रस या गूदे के अल्कोहल युक्त किण्वन से प्राप्त उत्पाद जो प्राकृतिक हो अथवा दृढ़ीकृत हो, जिसमें अल्कोहल युक्त अन्तर्वस्तु 24 प्रतिशत ( 24% वी / वी ) से अधिक न हो, से है। वाइन में चीनी मधु और या पानी मिश्रित हो सकता है;
(झ) "यंग वाइन" का तात्पर्य लीज के हटाये जाने के तत्काल बाद प्राप्त किवित अपरिष्कृत वाइन से है;